भेलपूरी गतिविधि
स्वकृत आमंत्रण किया ,रखा हमारा मान l
कैसे करें कृत्ञता ,स्वागत है श्रमान'' ll
अतिथि देवो भव:' एक बहुत ह प्राचन प्रचलित कहावत है l िसका अर्थ होता है कि अतिथि देवता के समान होते हैं l हमारे भारतवर्ष में मेहमानों को भगवान क तरह सम्मान दिया ाता है तथा उनके खान पान का ध्यान रखा ाता है l भारतय संस्कृति में अतिथि का दर्ा पूनय है l
इस संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए प्रूडेंस स्कूल द्वारका बाईस कक्षा दो के विद्यार्थियों के द्वारा भेलपूर गतिविधि' क गई l इस गतिविधि के अंतर्गत बच्चों को भेलपूर बनाने क पूर विधि सामग्र के साथ मज़ेदार ढंग से बताई गई l भेलपूर बनाने से पहले बच्चों ने कक्षा क सावट गुब्बारों तथा लियों से क lउसके बाद सभ बच्चों ने उल्लासपूर्वक कक्षा में मिलकर भेलपूर बनाई l भेलपूर बनाने के बाद कक्षा में आए अतिथियों का आदर सम्मान तिलक लगाकर व माला पहनाकर किया l बच्चों ने उनके साथ बातचत क फिर बे ह प्यार से उनके खाने के लिए भेलपूर परोस l अतिथियों के साथ साथ बच्चों ने भ चटकारे लेकर भेलपूर खाई और क्रियाकलाप का आनंद लिया l